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अक्सरहाँ व्यक्ति का इलाक़ा दर्पण जाता है बन प्रेम में पूरा शहर एक छत बन जाता है याद आती है उसकी ईमान छूट पेट भर

Hindi उसकी पहचान बन जाता है। Poems